BIG BREAKING: असम की सरकार ने मुस्लिम मैरिज और तलाक कानून को किया निरस्त
असम की हिमंता बिस्वा शर्मा सरकार ने मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 को रद्द करने का फैसला किया है।
शुक्रवार को असम के मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने कहा कि अधिनियम को रद्द करने का फैसला कैबिनेट ने लिया है। उन्होंने कहा कि अब मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण से जुड़े सभी मामलों का स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत निस्तारण होगा। सूत्रों ने कहा कि एक विधेयक असम विधानसभा में पेश किए जाने की संभावना है। विधानसभा सत्र 28 फरवरी तक चलने वाला है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कई बार कहा है कि असम समान नागरिक संहिता पर कानून लाने की योजना बना रहा है।
बरुआ ने कहा कि असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त कर दिया जाएगा और कोई भी मुस्लिम विवाह या तलाक अधिनियम के तहत पंजीकृत नहीं किया जाएगा। हम चाहते हैं कि ऐसे सभी मामले विशेष विवाह अधिनियम के तहत हों। इस फैसले से बाल विवाह को कम करने में भी मदद मिलेगी।
मंत्री ने कहा कि 94 मुस्लिम रजिस्ट्रार को हटा दिया गया है। ये रजिस्ट्रार अधिनियम के तहत विवाह पंजीकृत कर रहे थे। उन्हें 2 लाख रुपये का एकमुश्त मुआवजा दिया जाएगा।
12 फरवरी को मुख्यमंत्री सरमा ने कहा था कि असम कैबिनेट ने बहुविवाह विरोधी और यूसीसी दोनों विधेयकों पर चर्चा की है। हम बहुविवाह विरोधी विधेयक पर काम कर रहे हैं, जबकि उत्तराखंड ने यूसीसी पारित कर दिया। एक विशेषज्ञ समिति दोनों पहलुओं को ध्यान में रखकर काम कर रही है। इसलिए हम अधिक मजबूत कानून ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब देश को एक समान नीति की जरूरत है।
क्या था 1935 का आर्टिकल 3?
असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम 1935 के आर्टिकल 3 के अनुसार, राज्य सरकार किसी भी व्यक्ति को मुस्लिम होने के नाते लाइसेंस देती है। यह लाइसेंस वाला शख्स मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकृत करने का अधिकृत होता है। यह मामला कई बार उठा कि इस तरह के अधिकृत मुस्लिम शख्स असम में मुस्लिम विवाहों के लिए पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी कर रहे थे। बहु विवाह हो रहे थे। बाल विवाह हो रहा था।