छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: पत्नी की सहमति के बिना अप्राकृतिक यौन संबंध बलात्कार नहीं, जानें मामला
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि एक पुरुष और उसकी एडल्ट पत्नी के बीच अप्राकृतिक यौन संबंध का मामला सजा के देने लायक नहीं है। अदालत एक ऐसे व्यक्ति से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसने 2017 में अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाया, जिसकी बाद में अस्पताल में मृत्यु हो गई थी।
Live Law के अनुसार, यह आरोप लगाया गया कि अपीलकर्ता ने पीड़िता के ‘एनस’ में अपना हाथ डाला जिसके बाद पीड़िता ने दर्द की शिकायत की और बाद में उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। दुर्भाग्य से उसे बचाया नहीं जा सका। डॉक्टर ने कहा कि जब उसे भर्ती कराया गया था तो उसे पेरिटोनिटिस और मलाशय में छेद की समस्या थी।
हालांकि भारत में वैवाहिक बलात्कार दंडनीय अपराध नहीं है, लेकिन इस फैसले ने अप्राकृतिक यौन संबंध को सजा के दायरे से बाहर कर दिया है। अदालत ने फैसले में कहा कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा है, तो पति की ओर से किया गया कोई भी यौन संबंध या यौन कृत्य किसी भी परिस्थिति में बलात्कार नहीं माना जा सकता। इस फैसले के साथ, अप्राकृतिक यौन संबंध के लिए पत्नी की सहमति का अभाव महत्व खो देता है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अपनी बालिग पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना भी हर अप्राकृतिक यौन संबंध सहित किसी भी तरह का यौन संबंध बनाने के लिए पति पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 के तहत बलात्कार या धारा 377 के तहत अप्राकृतिक यौन संबंध के अपराध के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
अदालत ने कहा, “आईपीसी की धारा 375, 376 और 377 के अवलोकन से यह साफ है कि धारा 375 IPC की संशोधित परिभाषा के मद्देनजर, पति और पत्नी के बीच धारा 377 IPC के तहत अपराध के लिए कोई जगह नहीं है और इस तरह बलात्कार का मामला नहीं बनता है।”