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CG BREAKING:छत्तीसगढ़ी फिल्म के सुप्रसिद्ध कलाकार शिवकुमार दीपक का निधन, मोर छैय्या भूईया, परदेशी के मया’, ‘तोर मया के मारे’, फिल्मों में खूब हसाया

दुर्ग। छत्तीसगढ़िया लोक कलाकार एवं छत्तीसगढ़ी फिल्म के सुप्रसिद्ध कलाकार शिवकुमार दीपक ( 91) का निधन हो गया। उनकी अंतिम यात्रा 26 जुलाई को उनके निवास स्थान पोटियाकला , दुर्ग से दोपहर निकलेगी। वे श्रीमती शशि साहू, शैलेश साहू ( रंगकर्मी), सलभ साहू, संजीव साहू एवम संजय साहू के पिता थे। उनका जन्म पोटिया कला में 1933 में हुआ था।
गांव में होने वाले नाच तथा रामलीला, कृष्ण लीला देख देखकर वे बड़े हुए, और उनका कला की ओर बचपन से ही झुकाव हो गया। नाच तथा लीला से प्रभावित होकर अपने बाल सखाओ के साथ मिलकर कला साधना में जुट गए। स्कूल से भाग कर वे सदा इसी में लगे रहते। पढ़ाई के दौरान स्कूल के कार्यक्रम तथा नाटकों में भाग लेने लगे। एक बार गांधी जी का दुर्ग स्टेशन में दर्शन किया जो ट्रेन से कलकता जा रहे थे, गांधी जी के जय जय कार तथा आजादी के नारों से वे अत्यंत प्रभावित हुए। अपने बाल सखाओ के साथ आजादी की लड़ाई  करने की ठान ली और ब्रिटिश ध्वज को आग लगाने दुर्ग के कोर्ट में चला गया ,जहां पकड़े जाने पर थाने में बंद किया गया।

सन 1965 में प्रथम छत्तीसगढ़ी फिल्म कहि  देबे संदेश का निर्माण हुआ जिसमें मुझे प्रमुख चरित्र अभिनेता की भूमिका निभाने का अवसर मिला, साथ ही दूसरी छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘घर द्वार’ में भी चरित्र भूमिका निभाने के लिए बुलाया गया। इसी दौरान दुर्ग के दाउ रामचंद्र देशमुख द्वारा निर्मित लोक कला मंच चंदैनी गोंदा में हास्य भूमिका निभाने का अवसर मिला, चंदैनी गोंदा के साथ साथ दुर्ग के महासिंग चंद्राकर के सोन बिहना लोक कला में भी जुड़ा रहा जहां नाटक लोरिक चंदा हरेली में भाग लिया। इस तरह अनेकों लोक कला मंच में अपने अभिनय कला प्रदर्शन करते रहा। दिल्ली दूरदर्शन से लोरीक चंदा के प्रदर्शन के लिए दूरदर्शन दिल्ली जाना पड़ा। लोरिक चंदा का प्रदर्शन भारत के बड़े शहरों में करने इलाहाबाद, टाटा, जमशेदपुर, बंबई कलकत्ता, मद्रास, नागपुर, बनारस, आदि स्थानों में करते रहे।”
स्व दीपक ने बताया था कि लंबे अंतराल के बाद पुनः छत्तीसगढी फिल्मों का निर्माण शुरु हुआ जिसके निर्माता सतीश जैन द्वारा निर्मित फिल्म ‘मोर छैय्या भूईया’ में भूमिका निभाने का अवसर मिला। रायपुर के प्रेम चंद्राकर द्वारा निर्मित फिल्म ‘मया दे दे मया ले ले’, ‘परदेशी के मया’, ‘तोर मया के मारे’, फिल्मों में हास्य की भूमिका निभायी। तीन बार बेस्ट हास्य कलाकार का पुरस्कार मिला। इस तरह लगातार एक पात्रीय की हास्य भूमिका के लिए छत्तीसगढ़ फिल्म फेस्टीवल अनेकों छत्तीसगढ़ी फिल्मों में हास्य भूमिका करने का अवसर मिला।

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