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BIG BREAKING: एंटी रेप बिल पास, पीडि़त कोमा में गई या मौत हुई तो 10 दिन में होगी फांसी

नई दिल्ली- कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या की घटना के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में विशेष सत्र के दूसरे दिन ममता सरकार में कानून मंत्री मोलॉय घटक ने एंटी रेप बिल पास कर दिया है। जिस अनुसार अब बंगाल में रेप के दोषी को 10 दिन में मौत की सजा और मामले की जांच 36 दिन में पूरी करनी होगी।

दोषी को फांसी की सजा कब होगी?
अगर रेप के दौरान विक्टिम की मौत हो जाती है या फिर वो कोमा में चली जाती है तो इस स्थिति में रेप के दोषी को फांसी की सजा दी जाए।

विधानसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस विधेयक को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा कि दुष्कर्म के दोषी को सख्त सजा मिलनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा, हम चाहते हैं कि यह कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो। इसे लागू करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। हमें परिणाम चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है। हम आपका पूरा समर्थन करते हैं, हम मुख्यमंत्री के बयान को आराम से सुनेंगे, वह जो चाहें कह सकती हैं लेकिन आपको गारंटी देनी होगी कि यह बिल तुरंत लागू किया जाएगा।”

एंटी रेप बिल के बारे में जानिए
– इस बिल के भीतर रेप और हत्या करने वाले आपराधी के लिए फांसी की सजा का प्रावधान।
– चार्जशीट दायर करने के 36 दिनों के भीतर सजा-ए-मौत का प्रावधान।
– 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी।
– अपराधी की मदद करने पर 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान।
– हर जिले के भीकर स्पेशल अपराजिता टास्क फोर्स बनाए जाने का प्रावधान।
– रेप, एसिड, अटैक और छेड़छाड़ जैसे मामलों में ये टास्क फोर्स लेगी एक्शन।
– रेप के साथ ही एसिड अटैक भी उतना ही गंभीर, इसके लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान।
– पीड़िता की पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ 3-5 साल की सजा का प्रावधान।
– विधेयक में रेप की जांच और सुनवाई में तेजी लाने के लिए BNSS प्रावधानों में संशोधन शामिल।
– सभी यौन अपराधों और एसिड अटैक की सुनवाई 30 दिनों में पूरी करने का प्रावधान।

बता दें कि अपराजिता विधेयक को पारित होने के लिए राज्यपाल, राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी। विधानसभा में अपराजिता बिल पारित होने के बाद इसे हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। इसके बाद इसे राष्ट्रपति से मंजूरी मिलना जरूरी है। 294 सदस्यीय राज्य विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस को 223 विधायकों का समर्थन है, इसीलिए इस बिल का पारित होना मुश्किल नहीं है। हालांकि बीजेपी विधायकों ने सोमवार को यह संकेत नहीं दिया था कि वह बिल का समर्थन करेंगे या वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहेंगे। हालांकि इस विधेयक को राज्यपाल और राष्ट्रपति दोनों की मंजूरी की जरूरत होगी।

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