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BIG BREAKING: कांग्रेस को एक और झटकाअरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

लोकसभा चुनाव के बीच अरविंदर सिंह लवली ने दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को चिट्ठी लिखकर इस्तीफा भेजा है। खरगे को लिखे पत्र में लवली ने इस्तीफा देने की वजह भी बताई है। अरविंद सिंह लवली ने खरगे को लिखे पत्र में कहा कि दिल्ली कांग्रेस इकाई उस पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ थी। जिसका गठबंधन कांग्रेस पार्टी के झूठे मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के एकमात्र आधार किया गया था और जिसके आधे कैबिनेट मंत्री भ्रष्टाचार लवली ने लिखा कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली कांग्रेस के उम्मीदवार उम्मीदवार कन्हैया कुमार पार्टी लाइन और स्थानीय कार्यकर्ताओं की मान्यताओं को दरकिनार करते हुए दिल्ली के सीएम की झूठी प्रशंसा करते हुए मीडिया में बाइट दे रहे हैं। लेकिन असलियत यह है कि दिल्ली की जनता की पीड़ा के उलट उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बिजली को लेकर AAP के झूठे प्रचार का समर्थन किया।

 

उदाहरण के लिए बता दें कि कन्हैया कुमार ने 23 अप्रैल को एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में केजरीवाल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि उनके लिए बिजली की व्यवस्था करने वाला, स्कूल खोलने वाला, जो दिल्ली की जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने वाले मुख्यमंत्री हैं, उन्हें जेल में डाल दिया। लवली ने इस बात का भी जिक्र किया है। के आरोप में जेल में हैं।

मैंने पार्टी की पुनर्जीवित करने और पार्टी को खड़ा करने के लिए अपने स्थानीय कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय करने में काफी मेहनत की। इस दौरान सैकड़ों स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल करवाया, जो या तो पार्टी छोड़ चुके थे या तो निष्क्रिय हो गए थे। उन्होंने आगे लिखा कि दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिए गए सभी सर्व सम्मत निर्णयों को AICC महासचिव एकतरफा वीटो कर दिया गया। डीपीसीसी पद पर मेरी नियुक्ति के बाद एआईसीसी के महासचिव (दिल्ली प्रभारी) ने मुझे डीपीसीसी में कोई वरिष्ठ नियुक्ति करने की अनुमति नहीं दी गई।

उन्होंने आगे लिखा कि दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिए गए सभी सर्व सम्मत निर्णयों को AICC महासचिव एकतरफा वीटो कर दिया गया। डीपीसीसी पद पर मेरी नियुक्ति के बाद एआईसीसी के महासचिव (दिल्ली प्रभारी) ने मुझे डीपीसीसी में कोई वरिष्ठ नियुक्ति करने की अनुमति नहीं दी गई। इन्हीं सब कारणों के चलते भारी मन के साथ यह पत्र लिख रहा हूं कि मैं खुद को दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष पद बने रहने के रूप में खुद को असमर्थ पा रहा हूं।

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