Train hijack: पाकिस्तान में ट्रेन हाईजैक, 100 से अधिक लोग की मौत
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक मामले में बड़ा अपडेट है। इस घटना में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। बुधवार (12मार्च) शाम मृतकों के शव क्वेटा लाए गए। इससे पहले बालूच लिबरेशन आर्मी ने घटना का वीडियो जारी कर बताया कि कैसे ट्रेन हाईजैक करने से पहले बम ब्लास्ट किया था।
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने मंगलवार (11 मार्च) को ट्रेन को हाईजैक कर 214 पाकिस्तानी नागरिकों को बंधक बनाया। 30 पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी। इसके बाद हिंसक झड़प शुरू हो गई। पाक सुरक्षा बलों ने 16 BLA लड़ाकों को मारकर 104 यात्रियों को बचाया। बाकी लोगों की रिहाई के लिए ऑपरेशन जारी है। BLA ने पाकिस्तान की जेल में बंद बलूच कैदियों की रिहाई के लिए ‘शहबाज शरीफ सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है।
जाफर एक्सप्रेस ट्रेन मंगलवार सुबह 9 बजे क्वेटा से पेशावर के लिए चली थी। 9 बोगियों में 500 यात्रियों को लेकर जा रही ट्रेन पर दोपहर 1 बजे बलूचिस्तान के बोलान जिले के माशकाफ इलाके में हमला हुआ। बीएलए के लड़ाकों ने एक सुरंग के पास रेलवे ट्रैक पर विस्फोट किया। जाफर एक्सप्रेस ट्रेन रुकने पर मजबूर हो गई। इसके बाद हथियारबंद बीएलए विद्रोही ट्रेन में घुस गए। ट्रेन में मौजूद सुरक्षाकर्मियों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। गोलीबारी में ट्रेन ड्राइवर गंभीर रूप से घायल हो गया। इसके बाद बलोच विद्रोहियों ने ट्रेन को कब्जे में ले लिया।
बीएलए ने पाकिस्तान की जेल में बंद बलूच कैदियों की रिहाई के लिए शहबाज शरीफ सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। हालांकि, इस घटनाक्रम पर अभी तक पाकिस्तानी सेना-पुलिस ने आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) पाकिस्तान में सबसे प्रमुख अलगाववादी संगठनों में से एक है। दक्षिण-पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में सुरक्षा बलों, बुनियादी ढांचे और विदेशी हितों को निशाना बनाते हुए कई हाई-प्रोफाइल हमलों के जरिए इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) को कई देशों नेआतंकवादी संगठन घोषित किया हुआ है।
बलूच लिबरेशन आर्मी बलूचिस्तान को स्वतंत्र राज्य घोषित किए जाने की लड़ाई लड़ रहा है। इसका तर्क है कि पाकिस्तान सरकार बलूच लोगों को हाशिए पर रखती है। उनका शोषण किया जाता है। इस क्षेत्र के प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के बावजूद उपेक्षा की जाती है।