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सत्तीचौरा दुर्गा मंदिर में बड़े धूमधाम से मनाई गई श्री काल भैरव जयंती हजारों धर्मप्रेमियों की उपस्थिति में 108 पूजा थाल से की गई महाआरती

दुर्ग । छत्तीसगढ़ की धार्मिक नगरी जहां सभी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, वहाँ दिनांक 23 नवम्बर को पूरे जिले के एक मात्र स्थान श्री सत्तीचौरा माँ दुर्गा मंदिर, गंजपारा दुर्ग में श्री भैरव अष्टमी के अवसर पर श्री काल भैरव जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई जिसमें विभिन्न धार्मिक आयोजन आयोजित किये गए।श्री काल भैरव जयंती के अवसर पर माँ दुर्गा मंदिर, गंजपारा, दुर्ग में स्थापित मनोकामना सिद्ध श्री काल भैरव जी की मूर्ति का दिनांक 23 नवम्बर को प्रातः 10 बजे से महाअभिषेक किया गया। अभिषेक में मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित श्री सुनील पांडेय जी द्वारा दूध, दही, विभिन्न प्रकार की औषधियों एवं वस्तुओं से भैरव जी का अभिषेक कराया गया। अभिषेक के पश्चात पूजन एवं हवन कराया गया,पूजन अभिषेक के मुख्य जजमान इंद्राणी कुलेश्वर साहू (पार्षद) थे। हवन एवं पूजन कार्य मे प्रातः 11 बजे से ही धर्मप्रेमियों की भारी मात्रा में उपस्थिति रही। पूजन पश्चात बाबा जी की आरती एवं प्रसाद वितरण किया गया।

हवन पूजन के पश्चात सँध्या के समय महिला मण्डली द्वारा श्री काल भैरव चालीसा पाठ सुंदर एवं मधुर भजनों के साथ किया गया, जिसमें भारी मात्रा में महिलाएं उपस्थित थी।
समित्ति के सुजल शर्मा ने बताया कि संध्या 7:30 बजे श्री काल भैरव जी की 108 दीपों एवं 108 पूजा थाल से महाआरती की गयी जिसमें सेकड़ो धर्मप्रेमी उपस्थित हुए और अपने हाथों में पूजा थाल लेकर भैरव बाबा की आरती किये। आरती पश्चात पुष्पांजलि की गयी, एवं भैरव बाबा जी का जयकारा लगाया गया, जिससे पूरे गंजपारा में भैरव बाबा की जय घोष गूंजता रहा। आरती के पश्चात प्रसादी का आयोजन रखा गया, जिसमे सभी धर्मप्रेमियों को भैरव बाबा जी का विशेष प्रसाद खिचड़ी, कचोरी, मूंग बड़ा, बेसन लड्डू का वितरण किया गया। 1000 से अधिक धर्मप्रेमियों ने प्रसादी ली,
कार्यक्रम में श्री काल भैरव जी की महिमा का वर्णन करते हुए मंदिर के पुजारी सुनील पांडेय जी ने बताया कि काल भैरव जयंती से आने वाले 41 दिन तक काल भैरव चालीसा का पाठ करने एवं पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति एवं सभी मनोकामना पूर्ण होती है, कार्तिक माह की कालाष्टमी का विशेष फलदायी होती है। कार्तिक कृष्ण पक्ष के आठवें दिन कालाष्टमी होती है जिसे काल भैरव जयंती भी कहते हैं। काल भैरव का स्वरूप विकराल एवं क्रोधी है। काल भैरव के एक हाथ में छड़ी होती हैं और उनका वाहन काला कुत्ता होता है इसलिए भैरव रूप में काले कुत्ते को भोजन करवाने का भी विशेष महत्व बताया जाता है।
श्री काल भैरव जयंती के अवसर पर माँ दुर्गा मंदिर में विशेष साज-सज्जा की गई थी एवं आकर्षित फूलों से श्री काल भैरव मंदिर को सजाया गया था आरती पश्चात आतिशबाजी की गयी ।
दुर्ग जिले में एक मात्र स्थान में श्री काल भैरव जयंती के आयोजन होने से सुबह 9 बजे से लेकर देर रात्रि तक गंजपारा दुर्ग में हजारों भक्तों ने श्री काल भैरव जयंती के इस आयोजन का लाभ लिया, आरती एवं अभिषेक में शामिल होकर प्रसादी लिया ।
आयोजन में योगेन्द्र शर्मा बंटी नंदू ब्रम्हणे राजू पुरोहित दुर्गा अग्रवाल राजेश यादव सभापति दीपक चावड़ा विजय मनहरे निर्मल शर्मा राजेश शर्मा डब्बू चन्द्रवँशी प्रकाश टावरी महेश गुप्ता राजेश शर्मा अर्जित शुक्ला विवेक मिश्रा राहुल शर्मा प्रकाश सिन्हा विकाश पुरोहित शिव नायक मयंक शर्मा गोपाल शर्मा गोविंद गुप्ता आशीष मेश्राम राकेश चक्रधारी महेश गुप्ता मनीष सेन दुर्गा कश्यप सुंदर निषाद सोनल सेन मिथला देवी शर्मा चंदा शर्मा सरिता शर्मा चंचल शर्मा मनोरमा शर्मा चंचल ललित शर्मा आभा शर्मा सुमन शर्मा कुंती यादव लक्ष्मी यादव ममता राधा संध्या वर्मा अम्बिका पांडेय शिल्पी शर्मा कुलेश्वरी जायसवाल पिंकी साहू उर्वशी साहू लक्ष्मी यादव वाशु शर्मा रिषी गुप्ता नमन खंडेलवाल सुयश गुप्ता एवं हजारों धर्मप्रेमी उपस्थित थे

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