BIG BREAKING:PM मोदी का किसानों के लिए बड़ा ऐलान, जमीन का होगा डिजिटलाइजेशन
Delhi/प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अगस्त को 32वें अंतरराष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र सम्मेलन (ICAE) का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने भारत की प्राचीन कृषि परंपराओं और नए जमाने के वैज्ञानिक दृष्टिकोण के महत्व पर बात की। यह सम्मेलन नई दिल्ली के नेशनल एग्रीकल्चर साइंस सेंटर (NASC) में आयोजित हो रहा है। हर तीन साल में एक बार इस सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। बता दें कि 65 वर्षों बाद यह सम्मेलन फिर से भारत में आयोजित किया जा रहा है। इसमें 75 देशों के करीब 1,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की कृषि परंपरा में विज्ञान का हमेशा से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में भोजन को सभी औषधियों का मूल कहा गया है, जो आज भी प्रासंगिक है। भारत में कृषि शिक्षा और अनुसंधान के लिए एक मजबूत तंत्र है, जिसमें 500 से अधिक कृषि कॉलेज और 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) शामिल हैं। यह संस्थान किसानों तक नई तकनीक और जानकारी पहुंचाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
प्रधानमंत्री ने छोटे किसानों को भारत की खाद्य सुरक्षा का प्रमुख आधार बताया। उन्होंने कहा कि हमारे देश के लगभग 90% किसानों के पास सीमित जमीन है, और यही छोटे किसान भारत की खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने में सबसे बड़ा योगदान दे रहे हैं। यह स्थिति केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अन्य विकासशील देशों में भी समान रूप से देखी जाती है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत का यह मॉडल अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा स्रोत हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अब दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक (largest producer) बन गया है। उन्होंने कहा कि जब ICAE का सम्मेलन आखिरी बार भारत में हुआ था, तब भारत को खाद्य सुरक्षा और कृषि से संबंधित अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। लेकिन आज, भारत एक खाद्य अधिशेष (Food Surplus) देश बन गया है, जो कृषि क्षेत्र में भारत की प्रगति को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने मिलेट्स को ‘श्री अन्ना’ का दर्जा दिया है। यह फसल जिसे दुनिया सुपर फूड (Super Food) के रूप में पहचानती है, अब वैश्विक पोषण समस्या का समाधान बन सकती है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत अपने सुपर फूड्स की टोकरी को दुनिया के साथ साझा करने के लिए तत्पर है, ताकि वैश्विक स्तर पर पोषण संबंधी चुनौतियों का समाधान हो सके। भारत ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।