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BIG BREAKING:1993 सीरियल ब्लास्ट केस मे बड़ा फैसला, आरोपी करीम टुंडा बारी

Ajmer/राजस्थान से बड़ी खबर है। अजमेर टाडा कोर्ट ने गुरुवार को आतंकी अब्दुल करीम टुंडा को 1993 विस्फोट मामले में बरी कर दिया। टुंडा लश्कर-ए-तैयबा का टॉप आतंकी है, जो बम बनाने में माहिर है। अदालत ने दो आरोपियों इरफान और हमीदुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। टुंडा इस समय 84 वर्ष का है। 1996 के सोनीपत बम विस्फोट मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। फिलहाल वह अजमेर जेल में बंद है

गौरतलब है कि अजमेर की टाडा कोर्ट ने सीरियल बम ब्लास्ट केस में करीब 30 साल बाद फैसला सुनाया है।

इससे पहले राजस्थान पुलिस आज सुबह 11 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच आतंकी करीम टुंडा, हमीदुद्दीन और इरफान को अजमेर स्थित टाडा कोर्ट लेकर पहुंची। 30 साल तक चली सुनवाई के बाद आज जब फैसला सुनाया गया तो कोर्ट में गहमागहमी बढ़ गई थी।

आतंकी करीम टुंडा, हमीदुद्दीन और इरफान 6 दिसंबर 1993 को लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में हुए सीरियल बम धमाके के मामले में मुख्य आरोपी हैं। इससे पहले 28 फरवरी 2004 को भी टाडा कोर्ट ने सीरियल ब्लास्ट के 16 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 4 आरोपियों को बरी कर दिया था और बाकी लोगों की सजा बरकरार रखी थी और इन्हें जयपुर जेल में बंद रखा गया था।

अब्दुल करीम टुंडा पर पाकिस्तानी आतंकवादियों के समर्थन से भारत में 40 से अधिक बम विस्फोटों की साजिश रचने का आरोप है। टुंडा को जांच एजेंसी अधिकारियों ने 16 अगस्त 2013 को बनबसा में भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया था। वह देश से नेपाल भागने की फिराक में था। लेकिन उससे पहले पकड़ा गया। वह जम्मू-कश्मीर के बाहर लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क को फैलाने में एक महत्वपूर्ण कड़ी था।

टुंडा के जैश-ए-मोहम्मद, इंडियन मुजाहिदीन और बब्बर खालसा जैसे विभिन्न आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध थे। टुंडा हाफिज सईद, मौलाना मसूद अजहर, जकी-उर-रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम जैसे कुख्यात आतंकियों से जुड़ा था। आतंकवाद में शामिल होने के बावजूद, अब्दुल करीम टुंडा को 2016 में उसके खिलाफ सभी चार मामलों में बरी कर दिया गया था।

 

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