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बड़ी खबर……अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार, अक्टूबर माह में रिकॉर्ड तोड़ GST कलेक्शन……

शिवनाथ संवाद।। सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोनावायरस के कमजोर पड़ने के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ ली है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि देश में वस्तु एवं सेवा कर कलेक्शन लगातार पिछले कुछ महीनों से रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने यानि अक्टूबर में जीएसटी संग्रह 1,51,718 करोड़ रहा। यह जीएसटी लागू करने के बाद 1 महीने में दूसरा सबसे बड़ा संग्रह है। इससे पहले इसी साल अप्रैल महीने में सर्वाधिक जीएसटी कलेक्शन किया गया था जो 1.68 लाख करोड़ है।

सितंबर माह के मुकाबले बढ़ा GST कलेक्शन

सितंबर महीने में सरकार ने 1,47,686 करोड़ रुपए का सकल जीएसटी राजस्व का संग्रह किया था। सितंबर महीने में 1.1 करोड़ रुपए की ई-वे बिल और इनवॉइस जनरेट करने की उपलब्धि भी हासिल की गई थी। इनमें 72.4 रुपए ई-इन्वॉयस और 37.74 लाख ई-वे बिल जारी किए गए थे। वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात के साथ घरेलू लेन-देन में वृद्धि के दम पर वस्तु एवं सेवा कर संग्रह सितंबर में भी शानदार रहा था। इसी सिलसिले को बरकरार रखते हुए अक्टूबर में शानदार वृद्धि देखी गई। कुल संग्रह में सेंट्रल जीएसटी 26,039 करोड़ रुपए रहा, वहीं स्टेट जीएसटी 33,396 करोड़ रुपए रहे। एकीकृत जीएसटी की बात करें तो इसकी संख्या 81,778 रुपए रही।

लगातार आठवीं बार 1.4 लाख करोड़ पार कलेक्शन

इस वित्तीय वर्ष की बात करें तो यह लगातार आठवां महीना है जब जीएसटी रेवेन्यू 1.4 लाख करोड़ रुपए से ऊपर रहा है। वहीं ओवरऑल की बात करें तो इस आंकड़े को पार करने में जीएसटी संग्रह में बेहतरीन सफलता हासिल की है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से यह भी पता चल रहा है कि अक्टूबर में उपकर या सेस से होने वाली कमाई 10,505 करोड़ रुपए रही।

GST क्या होता है?  (What is GST)

वस्तु व सेवा कर दरअसल इनडायरेक्ट टैक्स है। इस वजह से आज भारतीय बाजारों का एकीकरण हो गया है और इंडियन इकोनॉमी को एक स्वरूप के आधार पर एक बाजार में परिवर्तित कर दिया गया है। यह वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगता है। केंद्र सरकार ने देश में कर प्रणाली में सुधार करने के लिए 3 अगस्त 2016 को राज्यसभा ने GST बिल को पास किया था। इस कर ने सभी मौजूदा अप्रत्यक्ष करों की जगह ले रखी है। सरकार ने GST को पूरे देश में 1 अप्रैल 2017 से लागू कर दिया था। GST को तीन भागों में बांटा गया है-

CGST

इसको Central Goods and Service Tax कहते हैं। जब किसी वस्तु या सेवा की राज्य के भीतर सप्लाई होती है तब इसका टैक्स केंद्र सरकार को दिया जाता है। इसे ही CGST कहते हैं। उदाहरण के लिए जब कोई व्यापारी अपने ही राज्य में दूसरे व्यापारी से सामान या सर्विस लेता है तो इस डील के लिए केंद्र सरकार को CGST देना पड़ता है।

SGST

इसको State Goods and Service Tax कहते हैं। जब किसी वस्तु या सामान की सप्लाई राज्य के अंदर होती है तो राज्य सरकार के हिस्से में जाने वाला टैक्स स्टेट टैक्स की परिभाषा में आता है। उदाहरण के लिए जब कोई व्यापारी अपने ही राज्य के व्यापारी से कोई सामान की खरीद बिक्री करता है तो इसपर राज्य सरकार को SGST दिया जाता है।

IGST

इसको Integrated Goods and Service Tax कहते हैं। जब दो अलग-अलग राज्यों के व्यापारियों के बीच सामान या सेवाओं को लेकर व्यापार होता है तो इसपर इंटीग्रेटेड जीएसटी लगता है‌। यह CGST और SGST दोनों का जोड़ होता है। व्यापारी यह कर सिर्फ केंद्र सरकार को चुकाता है।

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